दिल्ली हाई कोर्ट ने महाभारत की द्रौपदी का उदाहरण देते हुए एक मामले का निपटारा किया है. दरअसल, महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी के प्रेमी ने कथित तौर पर होटल के कमरे में व्यभिचार किया. हाई कोर्ट ने मामले को सुनते हुए आरोपी शख्स को बरी कर दिया है. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा, ‘महिला को पति की संपत्ति माना जाना और इसके विनाशकारी परिणाम महाभारत में अच्छी तरह से वर्णित हैं.’

उन्होंने कहा, ‘द्रौपदी को किसी और ने नहीं बल्कि उनके अपने पति युधिष्ठिर ने जुए के खेल में दांव पर लगा दिया था, जहां अन्य चार भाई मूक दर्शक बने रहे और द्रौपदी के पास अपनी गरिमा के लिए विरोध करने तक की कोई आवाज नहीं थी. द्रौपदी जुए के खेल में हार गई थीं और उसके बाद महाभारत का महान युद्ध हुआ, जिसमें बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई और परिवार के कई सदस्य मारे गए.’

कोर्ट ने कहा, ‘महिला को संपत्ति मानने की मूर्खता के परिणाम को प्रदर्शित करने के लिए ऐसे उदाहरण होने के बावजूद, हमारे समाज की स्त्री-जायदाद मानसिकता को यह तभी समझ में आया जब सुप्रीम कोर्ट ने जोसेफ शाइन (सुप्रा) के मामले में धारा 497 आईपीसी को असंवैधानिक घोषित करार दिया.’

पति ने क्या लगाए थे आरोप?

युवक ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 497 के तहत उसे तलब करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. शिकायत करने वाले पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का युवक के साथ विवाहेतर संबंध हैं. उसकी पत्नी और युवक लखनऊ गए थे, जहां वे पति-पत्नी के रूप में एक होटल में साथ रहे. पत्नी की सहमति के बिना युवक ने यौन संबंध बनाए. पति की ओर से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद आरोपी युवक को निचली अदालत ने बरी कर दिया था. इसके बाद पति ने दोबारा पुनरीक्षण याचिका दाखिल की. इस पर सेशन कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आरोपी युवक को व्यभिचार के अपराध के लिए तलब किया. मामले को आरोपी युवक ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर फैसला सुनाया गया है.