दिल्ली में UP की जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप: बाटला हाउस में घरों-दुकानों पर चला नोटिस का 'बुलडोजर'

दिल्ली के बाटला हाउस इलाके में कई दुकानों और मकानों पर यूपी इरिगेशन की तरफ से अवैध निर्माण को लेकर नोटिस लगाया गया है. नोटिस में लिखा गया है कि अपने घर और दुकानों को अगले 15 दिन में खाली कर लें, अन्यथा हानि या क्षति की जिम्मेदारी स्वयं की होगी. हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि चाहे कुछ भी हो जाए घर खाली नहीं करेंगे. लड़ेंगे-मरेंगे, लेकिन खाली नहीं करेंगे.
साउथ दिल्ली के ओखला गांव में खसरा नंबर-277 पर बने अवैध निर्माणों को हटाने के लिए उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने आदेश दिया है. यह अवैध निर्माण मुरादी रोड और सेलिंग क्लब रोड पर बने मकान और दुकानों को लेकर दिया गया है और इन दुकानों और मकान पर नोटिस भी चस्पा कर दिए गए हैं. इन दुकानों और मकान को 5 जून तक खाली करने का आदेश दिया गया है. यह जमीन उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की है, जिस पर पिछले 50-60 साल से अवैध कब्जा किया गया है.
ओखला गांव की लगभग साढ़े चार बीघा जमीन पर कब्जे का आरोप सिंचाई विभाग ने लगाया है. ये जमीन खसरा नंबर 277 में खिजर बाबा कॉलोनी मुरारी रोड और सेलिंग क्लब रोड के नाम से दर्ज है. यहां बने लगभग 80 मकान और दुकानों पर नोटिस चस्पा किए गए हैं और लाल निशान लगा दिए गए हैं. इस इलाके में ज्यादातर बिल्डिंग 5 से 6 मंजिला बनी हुई हैं और करीब 150 परिवार इन घरों में रहते हैं, जबकि ज्यादातर दुकानें बनाई गई हैं और लोगों का रोजगार चलता है.
सिंचाई विभाग ने जारी किया नोटिस
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर राजेंद्र जावित्री का कहना है कि खसरा नंबर 277 की जमीन यूपी सिंचाई विभाग की है, जिस पर पिछले 35 से 40 सालों में इलाके के लोगों ने अवैध कब्जा कर वहां पर मकान और दुकान बना लिए हैं. राजेंद्र जावित्री का कहना है कि अतिक्रमण की गई जगह को खाली करने के लिए उन्होंने पहले भी कई बार लोगों को नोटिस दिया, लेकिन इन लोगों ने खाली नहीं किया. सिंचाई विभाग इस जमीन को लेकर अभी तक कोर्ट नहीं गया था, सिर्फ नोटिस दिए गए.
एक बार फिर खसरा नंबर 277 पर बने अवैध मकान और दुकानों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया है. अवैध कब्जा किए लोगों के पास मालिकाना हक के कोई कागज नहीं हैं. भूमाफिया ने फर्जी तरह से जमीन बेच दी होगी. जूनियर इंजीनियर राजेंद्र जावित्री का कहना है कि 15 दिन की अवधि पूरी होने पर सिंचाई विभाग पुलिस फोर्स के साथ अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए बुलडोजर के साथ जाएगा. मकान और दुकानों को खाली कराने के बाद बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी. अगर लोग कोर्ट जाएंगे तो कोर्ट का जो आदेश होगा, उसका पालन होगा.
चाहे जान चली जाए, घर खाली नहीं करेंगे
वहीं इलाके में रहने वाली लोगों का कहना है कि चाहे उनकी जान ही क्यों न चली जाए, लेकिन वह बिल्डिंग खाली नहीं करेंगे. मुरादी रोड पर रहने वाली महिला का कहना है कि वह 16 साल से यहां पर मकान बनाकर रह रही है और उसने पैसे देकर यह जमीन खरीदी है. उसके पास जमीन के कागज हैं. यह जमीन अवैध नहीं है और न ही वह घर खाली करके जाएंगे. अगर बुलडोजर आता है तो वह अपनी जान दे देंगे, लेकिन घर खाली नहीं करेंगे.
वहीं इलाके के दूसरों लोगों का भी कहना है की 50 से 60 साल से वह लोग यहां पर घर बना कर रह रहे हैं. पूरी कॉलोनी बसी हुई है. पैसे देकर जमीन खरीदी गई और उस पर मकान बनाए गए हैं. अब अचानक इस कॉलोनी को ही अवैध करार दिया जा रहा है, जबकि उनके पास वैध कागज हैं. इलाके के लोगों का कहना है कि वह न तो घर टूटने देंगे, न खाली करेंगे और उसके लिए वह कोर्ट जाकर कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
किसानों से खरीदी जमीन, हमारे पास असली कागज
इलाके के बुजुर्ग आस मोहम्मद का कहना है कि करीब 40-50 साल पहले यहां पर किसानों की झोपड़ियां होती थीं. उन लोगों के पास कागज थे. यह जमीन उन्होंने पैसा देकर उन्हीं किसानों और दूसरे लोगों से खरीदे हैं और इसके पूरे कागज मौजूद हैं. उनका कहना है कि वह लोग बिजली का बिल, पानी का बिल, तमाम सरकारी बिल देते हैं तो यह इलाका अवैध कैसे हो गया. अभी तक जब पूरी कॉलोनी बस गई तो सिंचाई विभाग ने आखिर अपना दावा क्यों नहीं किया? उनका कहना है कि वह कोर्ट जाएंगे और साबित कर देंगे कि यहां की इमारतें अवैध नहीं हैं.
कोर्ट जाकर लड़ेंगे लड़ाई
वहीं मोहम्मद अहमद दावा करते हैं कि करीब 10 लोगों को पहले भी खसरा नंबर 277 में इसी तरह अवैध निर्माण बात कर नोटिस दिया गया था, जिसके बाद वह लोग कोर्ट चले गए. लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट में सिंचाई विभाग अपना मलिकाना हक जताने के कागज नहीं दे पाया, जिससे उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग केस हार गया और यही वजह है कि इस बार उन करीब 10 मकान पर कोई भी नोटिस नहीं लगाए गए हैं, जिससे साबित होता है कि एक ही खसरा नंबर में होने की वजह से यह सभी बिल्डिंग वैध हैं. बल्कि उनके पास लीगल पेपर हैं.
सिंचाई विभाग ने क्यों नहीं लगाई रोक?
सवाल यह उठता है कि जब उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की यह साढ़े चार बीघा जमीन थी तो आखिर कैसे पिछले 50 सालों में इस जमीन पर धीरे-धीरे 5 से 6 मंजिला मकान बन गए और हजारों की संख्या में यहां पर आबादी बस गई. दुकान बस गई और पूरा इलाका रिहायशी हो गया. क्या इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों को जाली दस्तावेजों के जरिए जमीन बेची गई, क्या 5 जून के बाद यहां बने 80 से ज्यादा मकानों को बुलडोजर के जरिए जमीदोज किया जाएगा या फिर इलाके के लोग कानूनी लड़ाई लड़कर स्टे लेंगे?