बलिदान के मूल्यों को आत्मसात कर रहा समाज 

नईम कुरैशी शाजापुर। मोहर्रम के मौक़े पर दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें धर्मगुरु डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब चेन्नई में अशरा मुबारक के दौरान वाअज़ ए मजलिस में धार्मिक प्रवचन दे रहे हैं। यह आयोजन पूरे देश में बोहरा समुदाय की मस्जिदों, मज़ार और अस्थाई केंद्रों पर लाइव प्रसारित किया जा रहा है। जहां दाऊदी बोहरा समुदाय के लोग शहादत ए हुसैन के ग़म में मौला की जानिब से दुनिया को दिए जा रहे मोहब्बत के पैग़ाम और बलिदान के मूल्यों को आत्मसात कर रहे हैं। शाजापुर में पांच हज़ार से ज़्यादा बोहरा समाजजन दरगाह युसूफ़ी प्रांगण, ईदगाह रोड़ स्थित अस्थाई रिले केंद्र के साथ नगर में मस्जिद और जमातखाना में वाअज़ ए मजलिस में शामिल हो रहे हैं। अशरा मुबारक मोहर्रम के पहले दस दिनों में आयोजित एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जिसमें इमाम हुसैन अ.स. की शहादत को याद किया जाता है। सैयदना साहब के प्रवचन इस दौरान समुदाय को नैतिकता, बलिदान और सामाजिक कल्याण के मूल्यों की शिक्षा देते हैं। सैयदना साहब ने हज़रत इमाम हुसैन अ.स. की क़ुरबानी और क़र्बला की ऐतिहासिक घटना को याद किया। उन्होंने कहा कि यह वाकिया हमें आपसी हमदर्दी, प्रेम और एकता के मूल्यों की याद दिलाता है। सैयदना साहब ने अपने प्रवचनों में समाज को शिक्षा, स्वच्छता और सामुदायिक कल्याण के लिए प्रेरित किया। ये वाअज़ चेन्नई की मस्जिदों और जामातखानों से लाइव स्ट्रीम किए जा रहे हैं, जिसे देश भर के बोहरा समाज के लोग देख और सुन रहे हैं।

धर्मगुरु डॉ. सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब ने ईमाम हुसैन की क़ुरबानी को आलम ए इंसानियत के लिए सच्चाई और हक़ का आईना बताया। उन्होंने कहा कि जैसे सितारे रात के अंधेरे में रास्ता दिखाते हैं, वैसे ही इतिहास में कुछ महान लोग इंसानियत की रहबरी करते रहे हैं। सैयदना साहब ने मोहब्बत को सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि सच्ची मोहब्बत से ही इंसान खिदमत, रहम और भाईचारे की तरफ़ बढ़ता है। उन्होंने शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और समुदाय के सदस्यों के बीच एकता और भाईचारे पर जोर दिया। सैयदना साहब ने शिक्षा को हमेशा सीखने और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और समुदाय के सदस्यों से अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखने का आव्हान किया। सैयदना साहब ने समुदाय के सदस्यों से एक-दूसरे के साथ प्रेम और सद्भाव से रहने की बात कही। उन्होंने समाज विकास और कल्याण के लिए की गईं विभिन्न पहल की भी चर्चा की। उन्होंने बोहरा समुदाय की सराहना करते हुए कहा कि समाज के लोगों ने सभी धर्मों और जातियों के साथ मिलकर इंसानियत की मिसाल पेश की है। सैयदना साहब की यह तकरीर बोहरा समुदाय के सदस्यों के लिए एक प्रेरणादायक और मार्गदर्शक है।

अशरा मुबारका इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मोहर्रम की 10 तारीख़ तक पैगंबर ए इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैही व सल्लम और उनके नवासे इमाम हुसैन अ.स. की याद में पूरी श्रद्धा और संवेदनाओं के साथ मनाया जाता है। इस दौरान दुनिया भर में बोहरा समुदाय के लोग एक साथ इकट्ठा होकर सुबह-शाम प्रवचन सुनते हैं। इस वाअज़ में कुरान की शिक्षाओं, इतिहास और सामाजिक मूल्यों पर चर्चा होती है, जो आज की जिंदगी से भी जुड़ी होती हैं। यह कार्यक्रम न केवल समुदाय को आत्मिक रूप से सशक्त करता है, बल्कि बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा भी देता है। अंजुमन कमेटी के सदर हाजी नईम कुरैशी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सैयदना साहब की तकरीर पूरे इंसानी समाज को ईमानदारी, वफादारी और वतनी फरीज़े का पालन करने वाला नागरिक बनने के लिए मार्गदर्शन करती है। सैयदना साहब की वाअज़ का प्रोग्राम भले ही चेन्नई में हो रहा है। मगर इसने देशभर के बोहरा समाज के माध्यम से अनुशासन और संयम की बेहतरीन मिसाल पैश की है। हज़ारों की संख्या में बोहराजन वाअज़ सुनने एकत्रित हो रहे हैं, इसके बावजूद किसी तरह की अव्यवस्था, यातायात की समस्या या अन्य लोगों को कोई दिक्कत का सामना नही करना पड़ रहा है। पूरी अक़ीदत के साथ समाजजन रिले केंद्र पहुंचकर वाअज़ में शामिल होते हैं और वापस लौट जाते हैं। बोहरा समाज के वॉलेंटियर खासतौर पर इस दौरान अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जो प्रेरणा देता है।